बड़ी खबर: 60 दिन में हो सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर: हाईकोर्ट का आदेश..

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बिलासपुर। सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति की लड़ाई अब सड़क से न्यायालय पहुंच गया है।लगातार सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए संघर्ष करते सहायक शिक्षक अब उच्च न्यायालय की शरण में चले गए है। इस पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश P. Sam Koshy ने बकायदा शासन को 60 दिवस का समय देते हुए आदेश दिया है कि समय सीमा में आवेदक के समस्या का निराकरण करें।

वेतन विसंगति की समस्या को लेकर छग सहायक शिक्षक फेडरेशन के संस्थापक सदस्य प्रान्तीय संयोजक और वर्तमान में फेडरेशन के विधिक सलाहकार शिव सारथी ने इसके लिए बाकायदा अपने उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संजीव कुमार साहू के माध्यम से उच्च न्यायालय में अपने द्वारा विभाग में प्रस्तुत 08/04/2019 के मांगपत्र को आधार बनाकर उसे क्रियान्वित कराने का अनुरोध किया था। जिस पर न्यायालय ने व्यवस्था देते हुए प्रदेश के प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग महानदी भवन नया रायपुर सहित जिला, बिलासपुर जिले के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत मस्तूरी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षाधिकारी मस्तूरी को निर्देशित किया है कि आवेदक ने जो अभ्यावेदन दिया है उसका निराकरण 60 दिवस में अनिवार्य रूप से करें।

इस सम्बंध में शिव सारथी ने बताया कि उनकी प्रथम नियुक्ति 11 जुलाई 2011 को शिक्षकर्मी वर्ग 3 के पद पर हुआ था। उस समय राज्य शासन/नियोक्ता अधिकरी द्वारा 3800-100-5800 वेतनमान दिया गया था जो कि वार्षिक वेतन वृद्धि होते हुए 7 वर्ष की सेवा अवधि में सन 2017 में 4400 में पहुंच गया था। चूंकि शिक्षाकर्मी सेवा एवं भर्ती नियम के प्रवधान अनुसार वर्ग 3 स्नातक योग्यता को प्रथम पदोन्नति का अधिकार है शासन ने नहीं दिया बल्कि उसके स्थान पर समयमान वेतनमान 5000-150-20000+2500 रुपये अध्यापन व्यवस्था दिया गया। इस प्रकार 8 वर्ष की सेवावधि उपरांत मेरा वेतनमान एक वेतन वृद्धि के साथ 2018 में 5150 को गया इसी समय उन्हें राज्य शासन ने अपने आदेश क्रमांक 8496 दिनांक 04-12- 2013 में स्वीकृत आदेश पंचायत शिक्षक संवर्ग के कर्मचारियो को शासकीय शिक्षक के समतुल्य वेतनमान जो कि पुनरीक्षित वेतनमान 7440 ग्रेड पे 2400 दे दिया गया। वह भी बिना मांग के। इसके लिए विभाग से पुनरीक्षित वेतनमान 4000×1.86= 7440-ग्रेड पे 2400 के स्थान पर समयमान वेतनमान के आधार पर 5150×1.86=9569 ग्रेड पे 2400 + तत्समय लागू महगाई भत्ता रुपये के आधार पर वेतन (वेतनमान निर्धारित करने) दिए जाने का मांग किया जो कि पुनरीक्षित वेतनमान के 7 वे स्लैब अर्थात 9040+2400 में आता है। जो उस समय के देय अन्य भत्तो के साथ समस्त कटौतियो के बाद 30150 देय होता परंतु राज्य शासन ने मुझे जान बूझकर आर्थिक हानि पहुँचाने के लिए पुनरीक्षित वेतनमान के प्रारंभिक स्लैब 7440+2400 लागू महगाई भत्ता दिया।

आगे कहना है कि शासन द्वारा अगर समयमान वेतनमान के आधार पर मेरा वेतन निर्धारण किया जाता तो मुझे पुनरीक्षित वेतनमान के प्रारंभिक वेतनमान 7440+2400 मूलवेतन 9840 महंगाई भत्ता 12300 महायोग 22140 CPF कटौती के बाद शुद्ध देयक 21156 के स्थान पर स्लैब 7 अर्थात 9390+2400 मूलवेतन 11790 +महंगाई भत्ता 14738 महायोग 26528 CPF कटौती 1179 उपरांत शुद्ध देयक 25349 के आधार पर दिया जाना था। इस प्रकार पुनरीक्षित वेतनमान 9390 के आधार पर 8 वर्ष की सेवा अवधि पर संविलियन उपरांत 7 वे वेतनमान का निर्धारण करना था पर जानबूझकर समयमान वेतनमान के स्थान पर पुनरीक्षित वेतनमान 4000×1.86=7440 के प्रारंभिक वेतनमान में निर्धारित कर दिया गया। जो सहायक शिक्षक के रूप में मेरे वेतन विसंगति का कारण बना।

जिस पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 9 सितम्बर 2019 को आदेश देते हुए निराकरण करने का आदेश दिया है। शिव सारथी का यह भी कहना है कि किसी भी शासकीय कर्मचारी का वेतनमान बढ़ते क्रम में निर्धारित होता है परन्तु राज्य शासन ने इसके विपरित घटा दिया और उन्हें उम्मीद है कि जब न्यायालय शिक्षार्मियो को निम्न से उच्च वेतनमान का लाभ दे सकता है। जिसका पंचायत विभाग में प्रवधान ही नही था तो समयमान वेतनमान के आधार पर निर्धारण का जो आलरेडी आदेशित है क्यो नहीं दे सकता।
उन्होंने प्रदेश के सभी सहायक शिक्षको से अपील किया है कि अधिक से अधिक संख्या में माननीय उच्च न्यायालय में रिट याचिका लगाकर अपने अधिकार को हासिल करें।