मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भारत बंद का छत्तीसगढ़ में भी असर.. कर्मचारी विरोधी नीतियों और निजीकरण के खिलाफ हो रहा आंदोलन

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रायपुर 8 जनवरी, 2020। मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आज देशभर के 10 ट्रेन यूनियन का भारत बंद का आह्वान किया है। जहां आज भारत बंद है। देश के अलग-अलग हिस्सों में सुबह से ही बंद का असर दिखने लगा है। दुकानें बंद हैं, सड़कें सुनसान पड़ी हैं। कहीं ट्रेनें रोकी जा रही हैं तो कहीं चक्का जाम किया जा रहा है। जहां बंद का असर दिख रहा है। ये बंद श्रम सुधार और निजीकरण के ख़िलाफ़ है। कई ट्रेड यूनियन सरकार की कथित जन विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ इस बंद में शामिल हैं।

पच्चीस करोड़ लोगों के बंद में शामिल होने का दावा किया जा रहा है। छह सेंट्रल ट्रेड यूनियन और छह बैंकिंग यूनियन ने बंद का समर्थन किया है। आज और कल एटीएम में कैश की क़िल्लत हो सकती है, हालांकि निजी बैंकों पर असर नहीं होगा…. केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर वो इस बंद में शामिल होते हैं तो इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। न सिर्फ उनका वेतन कटेगा उनके खिलाफ अनुशासनातक्मक कार्रवाई भी हो सकती है। पंजाब सरकार ने भी काम पर नहीं आने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं देने का एलान किया है।

दिल्ली में ट्रेड यूनियन के सदस्य प्रदर्शन करते हुए



पश्चिम बंगाल: भारत बंद के दौरान कूच बिहार में एक बस में की गई तोड़फोड़

इधर ट्रेड यूनियन से जुड़े कर्मचारी संगठनों द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का छत्तीसगढ़ में भी असर देखने को मिल रहा है। बीएसएनएल, रेलवे व कुछ अन्य राष्ट्रीय ट्रेड यूनियंस ने भी हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। बैंक के प्रमुख कर्मचारी संगठन इस हड़ताल में शामिल हैं, जिनमे मुख्यतः AIBEA, AIBOA, BEFI, INBEF, INBOC, आदि प्रमुख हैं। सेंट्रल बैंक एम्प्लाइज यूनियन के प्रदेश महासचिव व छ. ग. बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन के संगठन सचिव शक्ति सिंह ठाकुर ने बताया कि केन्द्र की कर्मचारी विरोधी नीतियों और निजीकरण के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है।

ये हैं प्रमुख मांगें :-

1) नई पेंशन स्कीम को बंद कर पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करना।

2) समस्त शासकीय व लोक सेवा क्षेत्रों में आउटसोर्सिंग बन्द कर पर्याप्त भर्ती की जाए।

3) कॉर्पोरेट ऋण खातों की वसूली के लिए ठोस कदम उठाए जाएं व सरकारी संरक्षण बन्द किया जाए।

4) सरकार द्वारा कामगार कानूनों में अनुचित बदलाव को रोका जाए।

5) बैंकों के विलय, व अन्य सेक्टर्स के निजीकरण को तत्काल रोका जाए।

6) त्वरित व सम्मानजनक वेतन समझौते को जल्द से जल्द लागू किया जाए।