कर्जमाफी की आड़ में अपने चहेतों को पहुंचाया लाभ, पहली बार राज्य सरकार ने किया इस पावर का इस्तेमाल.. संचालक मंडल भंग करने की पेशकश.. अब इस सहकारी बैंक के फैसले कलेक्टर की अनुमति के बाद ही होंगे.. पढ़िए पूरा मामला..

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रायपुर 10 जुलाई, 2019। राजनांदगांव जिला सहकारी बैंक मर्यादित के संचालक मंडल को कर्जमाफी की आड़ में अपने चहेतों को लाभ पहुंचाना मंहगा पड़ गया है। राज्य सरकार ने इसे भंग करने की पेशकश कर दी है। किसानों को इसका लाभ न दिलाने से रोकने और आर्थिक अनियमितता के मामले में पंजीयक सहकारी संस्थाएं, छत्तीसगढ़ ने राजनांदगांव के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित के संचालक मंडल को भंग करने का नोटिस जारी किया गया है। संचालक मंडल को 31 जुलाई तक जवाब देने को कहा गया है।

  • इस दौरान संचालक मंडल कोई भी फैसले नहीं ले पाएगा।
  • सभी तरह के बैंक के फैसले कलेक्टर की अनुमति के बाद ही लिए जाएंगे।
  • पंजीयक ने छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 53 की उपधारा (10) के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए ये आदेश जारी किया है।
  • छत्तीसगढ़ में ये पहला मामला है जिसमें रजिस्ट्रार ने इस शक्ति का इस्तेमाल किया हो।
  • जिला सहकारी बैंक मर्यादित, राजनांदगांव के अध्यक्ष सचिन सिंह बघेल हैं।
  • जो कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।
  • पंजीयक ने संचालक मंडल के खिलाफ 7 पेज का आरोप पत्र बनाया है।
  • जिसमें चार प्रमुख आरोप लगाए गए हैं।
  • आरोप पत्र में लिखा है कि संचालक मंडल के गलत फैसलों के चलते बैंक को करीब 3 करोड का नुकसान हुआ।
  • ये भी आरोप लगाए गए है कि संचालक मंडल ने जानबूझकर 18 हजार किसानों को सही समय पर कर्जमाफी का लाभ लेने नहीं दिया।
  • जिससे वो नए ऋण समय से नहीं हासिल कर पाए। बाद में संज्ञान में आने के बाद सरकार ने हस्तक्षेप किया और किसानों को कर्जमाफी का लाभ दिलाया।
  • पंजीयक, सहकारी संस्थाएं ने इस बारे में रिजर्व बैंक को भी जानकारी दे दी है। सचिन बघेल रमन सिंह के करीबी हैं।
  • बताया जा रहा है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में लाभ दिलाने के लिए किसानों के कर्जमाफी के फैसले को बैंक के संचालक मंडल ने लटकाए रखा।

पहला आरोप रिजर्व बैंक के हवाले से है जिसमें बताया गया है कि संचालक मंडल ने 2014-15 में नियम के विरुद्ध तरल संधारण में चूक की। जिसके चलते बैक पर पहले 1 करोड़ डेढ़ लाख रुपये का दंडात्मक ब्याज लगाया गया. बाद में इसे कम करते हुए करीब 85 लाख कर दिया।

दूसरा आरोप है कि बैंक ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बोर्ड के सदस्य सोसाइटी आदिम जाति सहकारी समिति मर्यादित, गैंदाटोला के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप किया।

तीसरा आरोप है कि बैंक ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी की नियुक्ति में रिजर्व बैंक के निर्देशों के खिलाफ जाकर की। इसके तहत अपात्र व्यक्ति को कार्यपालन अधिकारी बनाये रखा गया. जिससे बैंक में आर्थिक गड़बड़ी हुई।

संचालक मंडल पर चौथा आरोप है कि अल्पकालीन कृषि ऋण माफी योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ी की जिससे किसानों को समय से इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया और उन्हें खरीफ के लिए नया ऋण समय से नहीं मिल पाया। इससे बैंक को काफी आर्थिक नुकसान भी हुआ।

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