Bastar Dussehra 2020: बस्तर दशहरा का तांत्रिक अनुष्ठान है निशाजात्रा…

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जगदलपुर, Bastar Dussehra 2020। बस्तर दशहरा मे बेहद ही अनोखी रस्म है निशा जात्रा, जगदलपुर में माता खमेश्वरी का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर साल मे सिर्फ आश्विन शुक्ल अष्टमी को रात्रि में खुलता है। इस मंदिर में निशा जात्रा नामक एक प्रकार से तांत्रिक अनुष्ठान सम्पन्न किया जाता है। अश्विन शुक्ल अष्टमी की आधी रात निशाजात्रा गुड़ी में माता खमेश्वरी देवी की पूजा अनुष्ठान के बाद राज परिवार की मौजूदगी में ग्यारह बकरों की बलि दी जाती है। अष्टमी की रात को देश की खुशहाली के लिए देवियों को मछली, कुम्हड़ा और बकरों की बलि दी जाती है। रात 12 बजे राजपरिवार भैरमदेव की पूजा अर्चना कर हवन स्थल में 11 बकरों की बलि दी जाती है।

मावली मंदिर में दो और सिंहडयोढी व काली मंदिर में एक-एक बकरे की बलि दी जाती है। दंतेश्वरी मंदिर जगदलपुर में एक काले कबूतर व सात मोंगरी मछलियां तथा श्री राम मंदिर में उड़द दाल और रखिया कुम्हड़ा की बलि दी गई है। निशाजात्रा में मां को अर्पण बकरे को प्रसाद के रूप में नवमी के दिन पुजारियों सहित शहर के नागरिकों के घर-घर पहुंचाया जाता है।

निशा जात्रा पूजा विधान के लिए भोग प्रसाद तैयार करने का जिम्मा निश्चित गांव के लोग निभाते हैं। दोपहर से ही मावली मंदिर की भोगसार में नई मटकियों में प्रसाद तैयार करने का काम शुरू हो जाता है, जिसे निश्चित गावों में बसे यादव समाज के लोग करते हैं। मध्य रात्रि 12 कांवरों में रखकर प्रसाद को मंदिर पहुंचाया जाता है। इस प्रसाद को ग्रहण करना निषेध होता है। इसे अगली सुबह इस प्रसाद गायों को खिला दिया जाता है।