बैंक ने खाताधारक का चेक गुमाया.. केनरा बैंक के मैनेजर पर लगा जुर्माना.. जिला उपभोक्ता फोरम दुर्ग का फैसला..

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दुर्ग। क्लीयरेंस के लिए जमा कराए गए चेक को बैंक ने गुमा दिया इस कृत्य को सेवा में निम्नता मानते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने केनरा बैंक स्टेशन रोड दुर्ग के शाखा प्रबंधक के खिलाफ आदेश पारित किया, जिसके तहत शाखा प्रबंधक पर 93280 रुपये हर्जाना लगाया गया है ।

क्या है मामला

गांधीनगर डिपरापारा दुर्ग निवासी मुकेश कुमार सोनकर को 82280 रुपये का चेक भुगतान स्वरूप प्राप्त हुआ था, जिसे मुकेश कुमार सोनकर ने केनरा बैंक की दुर्ग शाखा में दिनांक 03.11.2016 को जमा किया, इसके बाद दिनांक 29.11.2016 को अनावेदक केनरा बैंक ने परिवादी को पत्र द्वारा सूचना दी कि उसके द्वारा जमा किया गया क्लियर नही हुआ और अपर्याप्त राशि होने के कारण अनादरित हो गया, साथ ही खेद भी व्यक्त किया गया कि अनादृत चेक बैंक द्वारा कहीं गुम हो चुका है और काफी ढूंढने के बाद भी नहीं मिला है। इसके बाद परिवादी ने चेक जारीकर्ता से संपर्क कर पुनः चेक जारी करने का निवेदन किया किंतु चेक जारीकर्ता ने नया चेक जारी करने से इंकार कर दिया, जिससे कारण परिवादी अपनी राशि 82280 रुपये से वंचित हो गया।

अनावेदक का जवाब

अनावेदक केनरा बैंक ने प्रकरण में उपस्थित होकर यह जवाब दिया कि उसकी ब्रांच ने समय से परिवादी को सूचित कर दिया था कि परिवादी के पक्ष में जारी चेक अदाता के खाते में पर्याप्त रकम ना होने के कारण अनादरित हो गया है तथा उक्त चेक की स्कैन्ड कॉपी एवं अनादरण की नोटिस समय के भीतर परिवादी को दे दी गई थी, परिवादी इस आधार पर चेक जारीकर्ता के विरुद्ध धारा 138 परक्राम्य लिखत अधिनियम के तहत परिवाद पेश कर सकता था।

फोरम का फैसला

प्रकरण पर विचारण पश्चात जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह पाया कि स्वयं बैंक ने हीं ये स्वीकारोक्ति की है कि चेक उसके कब्जे से गुम हुआ है। चेक एक मूल्यवान और महत्वपूर्ण दस्तावेज है, भले ही वाहन अनादरित क्यों ना हो गया हो। चेक की स्कैन्ड कॉपी को उसकी मूल प्रति के समकक्ष नहीं रखा जा सकता है। चेक अनादरण की सूचना परिवादी को समय पर मिल भी जाए तो उस सूचना के आधार पर वह चेक जारीकर्ता के विरुद्ध विधिक उपचार तब तक नहीं ले सकता है जब तक कि मूल अनादरित चेक उसके पास उपलब्ध ना हो। अनावेदक के लापरवाही और दोषपूर्ण कार्यशैली के चलते परिवादी को अनादरित चेक के जारीकर्ता के विरुद्ध विधिक उपचार से वंचित होना पड़ा। जिला फोरम ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग नई दिल्ली द्वारा पारित न्याय दृष्टांत “मैनेजर बैंक ऑफ बड़ौदा व अन्य विरुद्ध चितरोदिया बाबूजी दीवान जी” के आलोक में यह निर्धारित किया कि अनावेदक बैंक ने परिवादी का चेक गुमा कर उसे क्षति पहुंचाई है, जिसकी भरपाई करने की जिम्मेदारी अनावेदक बैंक की ही है, इस कारण परिवादी चेक में अंकित रकम अनावेदक बैंक से प्राप्त करने का अधिकारी है।

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने अनावेदक बैंक पर 93280 रुपए हर्जाना लगाया, जिसके तहत अनावेदक द्वारा परिवादी को चेक की रकम 83280 रुपये, मानसिक वेदना की क्षतिपूर्ति स्वरूप 10000 रुपये तथा वाद व्यय 1000 रुपये भुगतान करने का आदेश दिया गया।