चिकित्सा शिक्षा विभाग का एक और कारनामा.. GNM कोर्स के लिए पूरी सूची का इंतजार किए बगैर बांट दी विद्यार्थियों को आबंटन पत्र..

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रायपुर 28 अक्टूबर, 2019। छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा विभाग का बुरा हाल है। फिजियोथैरेपी की काउंसलिंग में बड़ी लापरवाही के बाद अब नर्सिंग के काउंसलिंग में भी लापरवाही बरती जा रही है। संचनालाय चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा अब नर्सिंग की काउंसलिंग में भी भेदभाव किया जा रहा है। विभाग की तरफ से 29 नर्सिंग कॉलेजों को जीरो ईयर घोषित करने के बाद बीएससी नर्सिंग के काउंसलिंग पर रोक लगा दी है जबकि जीएनएम नर्सिंग के लिए 29 को आने वाली सूची का इंतजार किए बगैर अपने चहेते कॉलेजों को रबड़ी की तरह सीट का आवंटन कर दिया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जीएनएम कोर्स के काउंसलिंग के लिए आवंटन पत्र जारी कर दिया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह विभाग की लापरवाही है या फिर पैसे का कोई लेनदेन। जिसकी वजह से जीएनएम कोर्स के लिए नर्सिंग कॉलेजों की फ्रेश सूची का इंतजार किए बगैर आवंटन पत्र जारी कर दिया।

दरअसल एक ओर जहां बीएससी नर्सिंग के 105 कॉलेज है जिसमें से आयुष विश्वविद्यालय ने 29 कॉलेज को शून्य वर्ष घोषित किया है। उस पाठ्यक्रम की काउंसलिंग को रोक कर रखी गई। जबकि जीएनएम नर्सिंग पाठ्यक्रम के कॉलेजो की सूची जिसमें लगातार एक के बाद एक सूची जारी हो रही है, इस अनिर्णय की स्थिति में भी उसकी काउंसलिंग कर सूची जारी कर दी गई है। इसमें प्रथम सूची में जितने भी नर्सिंग कॉलेज को जीएनएम में मान्यता मिली थी उन सभी को स्टूडेंट आवंटित कर दिए गए हैं जबकि जीएनएम नर्सिंग में अन्य सभी महाविद्यालयों में सभी सुविधाएं तो है, लेकिन उनकी सूची 29 अक्टूबर को जारी होगी, उस सूची का इंतजार किये बगैर कुछ संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए संचनालय शिक्षा ने अपने चहेते महाविद्यालयों के संचालकों को फायदा पहुंचाने की नियत से प्रथम सूची जारी कर दी है। जिससे जितने भी महाविद्यालय प्रथम सूची में है उन सब के यहां सीटें भरी हुई दिखाई दे रही है, जबकि बीएससी नर्सिंग में 29 महाविद्यालयों को जीरो घोषित किया गया है और उनकी कॉउंसलिंग सूची का काफी दिनों से इंतजार की जा रहा है।

विश्वविद्यालय द्वारा जब सूची जारी कर दी गयी है तो अविलंब काउंसलिंग करने के बजाय DME के आदेश का इंतजार किया जा रहा है, इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए लग रहा है कि संचनालय चिकित्सा शिक्षा कुछ एक कॉलेजों पर अभी भी मेहरबान है, जबकि हाईकोर्ट बिलासपुर के निर्देश अनुसार सभी नर्सिंग कॉलेजों की गुणवत्ता चेक करने निर्धारित करने स्वास्थ्य सचिव को उच्च कोर्ट द्वारा निर्देशित किया गया। लेकिन हाईकोर्ट के निर्णय की अवहेलना करते हुए बार बार सूची बदलने का क्रम आज भी जारी है। संचनालय चिकित्सा शिक्षा के अधिकारी किसी भी निर्णय को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ कर कुछ निजी महाविद्यालयों का फायदा पहुंचाने में लगे हैं।