56 के हुए पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, किसान पुत्र अजय छात्र राजनीति से सुर्खियों में आए, 32 साल पहले सरकार ने भेज दिया था 7 दिनों के लिए जेल, एक क्लिक में उन्हें जाने…

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24 जून 2019 रायपुर। पूर्व कैबिनेट मंत्री और वर्तमान कुरूद विधायक अजय चंद्राकर का 56 साल के हो गए है। वे 24 जून 1963 को छत्तीसगढ़ के कुरूद में जन्मे। अजय, स्वर्गीय कलीराम चंद्राकर के बेटे और भागवत चंद्राकर के भतीजे है। अजय चंद्राकर का विवाह श्रीमती प्रतिभा चंद्राकर के साथ 14 फरवरी 1997 को हुआ था। उनके एक पुत्र है।

· अजय चंद्राकर का निर्वाचन क्षेत्र और घर कुरुद में है लेकिन परिवार का पैतृक गांव अर्जुन्दा है।
· अजय चंद्राकर की शिक्षा कुरुद की जन्मभूमि में हुई। अजय चंद्राकर का मूल व्यवसाय कृषि है।
· अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने बिलासपुर के एसबीआर कॉलेज में प्रवेश लिया।
· कुछ सालों तक अध्ययन करने के बाद अजय चंद्राकर रायपुर आए और दुर्गा कॉलेज में एडमिशन लिया।
· यहां अजय ने हिंदी साहित्य में एम.ए. पूरा किया और बाद में विष्णु प्रभाकर के नाटकों को अपने शोध के लिए विषय के रूप में चुना। यहां से उनकी राजनीति में तेजी आई।
· जब वह पहली बार विधानसभा के लिए चुने गए, तो उन्हें अन्य सभी विधानसभा सदस्यों में सबसे अधिक अध्ययनशील माने जाते थे।
· आज भी अजय चंद्राकर को पढ़ने और लिखने का एक उत्साही जुनून है, और ज्ञान के लिए आज भी कुछ नया सीखते है। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद वे अभी भी पढ़ने के लिए समय निकालते हैं।

छात्र राजनीति में फायरब्रांड के नाम से जाने जाते थे..
अजय चंद्राकर में बचपन से ही लीडरशीप के गुण थे। स्कूली शिक्षा के दौरान श्री चंद्राकर ने तत्कालीन मंत्री से साहसपूर्वक एक मांग रख दी थी। जिसके बाद मंत्री भी बेहद खुश हुए थे। और उनके स्कूल से संबंधित मांगों को पूरा किए थे। इस घटना ने उनके व्यक्तित्व को एक नई पहचान दी थी। अजय़ चंद्राकर कहते है स्कूल में ही बच्चा सीखता है कि किसी के नकल करने से बेहतर कड़ी मेहनत कर पान होना है। अजय चंद्रकार छात्र जीवन से ही काफी सक्रिय रहे। सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं में सक्रियत के कारण उन्हें छात्र राजनीति में फायरब्रांड के रूप में जाना जाता था।

अजय ने महसूस किया कि बड़े पैमाने पर लोगों की मदद करना है तो, उन्हें राजनीति में प्रवेश करना होगा। राजनीति ही एक ऐसा माध्यम था, जो देश की जनता तक अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने के लिए नीतियों, विचारों और उनके प्रयासों से लाभ पहुंचा सकते है।

राजनीतिक सफर की कुछ खास झलकियां..
· 1998 में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से अजय चंद्राकर पहली बार विधायक बने। लेकिन इससे पहले भी, वे कई राजनीतिक आंदोलनों में नेतृत्व करते रहे।
· 32 साल पहले 1987 में, उन्होंने एक आंदोलन में भाग लिया था। जिसमें वे 7 दिन जेल में भी बिताए थे। उनकी इस 7-दिवसीय हिरासत को वे अपनी जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानते हैं।
· 2003 में, वे पहली बार कैबिनेट मंत्री बने। पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के साथ-साथ संसदीय मामलों के मंत्री के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार का हिस्सा रहे।
· 2004 में, उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, तकनीकी शिक्षा और जनशक्ति नियोजन के विभागों को भी सौंपा गया।
· 2007 में मंत्रिमंडलों में फेरबदल के कारण, वे उच्च शिक्षा मंत्री भी बने।
· 2008 में, विधानसभा चुनावों में उन्हें एक दुर्भाग्यपूर्ण हार का सामना करना पड़ा।
· हार के बाद पार्टी ने उनकी प्रतिभा, शिक्षा और योग्यता को देखते हुए राज्य वित्त आयोग का प्रमुख बनाया।
· अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद, उन्हें पार्टी के उपाध्यक्ष और आधिकारिक प्रवक्ता होने की दोहरी जिम्मेदारियों के लिए भी चुना।
· 2013 में फिर चुनाव लड़े और मंत्री बने। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण विभाग बनाए गए।
· 5 साल तक संसदीय कार्यमंत्री का भी कार्यभार मिला। कुछ समय के लिए छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी मिला था।
· 1998, 2003, 2013 और 2018 में विधानसभा सभा सदस्य चुने गए।

ये हैं उपलब्धी
· अजय चंद्राकर अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में एक ही दिन में तीन विश्वविद्यालयों के लिए नियमों और विनियमों का पारित किये जाने को गिनते है।
· उनके लिए एक और बड़ी उपलब्धि पंचायती राज अधिनियम का संशोधन था जिसने साक्षरता जैसे क्षेत्रों में एक पथ-परिवर्तन को लाया, जिससे उन्हें कानूनी समर्थन मिला।
· इसके साथ ही पंचायत राज अधिनियम की स्वीकृति के बाद महिलाओं ने पंचायत में 50% आरक्षण प्राप्त हुआ।
· उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सफलता SIRD, NIT, ओपन स्कूल, बिजनेस एजुकेशन डिवीजन, क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र और अंबिकापुर में एक सैन्य स्कूल की स्थापना के साथ देखते है।

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