ज्योति जलाने निर्देश मिलने के बाद बढ़ी दीये की मांग, पूर्ति करने निर्माण में जुटे कुम्हार..

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रायपुर. ज्योति कलश स्थापना संबंधित गाइडलाइन जारी होने के साथ ही बाजार में मिट्टी के दीए और ज्योति कलश की मांग बढ़ गई है। कोरोना के कारण कुम्हारों ने नवरात्रि के लिए इस साल दीए पिछले वर्ष की तुलना में कम बनाए थे। लेकिन अब ज्योति कलश की मंजूरी मिलने के बाद इन दिनों कुम्हार मांग के अनुसार फिर नए दीए तैयार कर बेच रहे हैं। शहर के देवी मंदिरों में हजारों की संख्या में भक्तों के ज्योत जलते हैं। प्रशासन के निर्देश के बाद से मंदिर समितियां दीए व कलश खरीदने बाजार पहुंच रही हैं। इसके अलावा लोग घर में ज्योति स्थापना के लिए बड़े दीए खरीद रहे हैं। ज्योति स्थापना करने निर्देश देरी से आने के कारण कुम्हारों ने पहले से दीए तैयार नहीं किए थे।

अन्य कुम्हारों से खरीद रहे दीये

बाजार में जिन कुम्हारों के पास पर्याप्त संख्या में दीए नहीं हैं, वे ग्रामीण क्षेत्रों के कुम्हारों से दीए खरीदकर बेच रहे हैं। कालाबाड़ी में कुम्हार शबनम बेगम का कहना है, सप्ताह भर से दीए की मांग बढ़ी है। हर दिन 30 से 40 बिक रहे हैं। इसके अलावा समिति के लोग दर्जन के अनुसार ज्योत के लिए बड़े दीए खरीद रहे हैं। आदेश नहीं आने के कारण नवरात्रि के लिए बड़े दीए तैयार नहीं किए थे। पुराने सभी दीए सप्ताह भर में बिक गए हैं। बड़े दीए की कीमत 20 से 30 रुपए तक है। मिट्टी के कलश के साथ यह 90 रुपए तक की कीमत में लोग इसे खरीद रहे हैं।

20 से 25 हजार का मुनाफा : कुम्हारों का कहना है, नवरात्रि में ज्योत दीए के व्यापार से 20 से 25 हजार का मुनाफा हो जाता था। आदेश जल्दी मिलने से इस साल भी उतने का फायदा मिलने की उम्मीद थी। वर्तमान में पिछले वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत ही नए दीए तैयार किए गए हैं। दीपावली के लिए दीए नवरात्रि के बाद से बनाएंगे।

सप्ताह भर में बिक गए पुराने दीये

बाजार में दीए की मांग को देखते हुए कुम्हार नवरात्रि के लिए मांग के अनुसार दीए तैयार कर रहे हैं। राठौर चाैक के कुम्हार दुष्यंत सेन का कहना है, नवरात्रि के लिए दीए की अच्छी बिक्री हो रही है। मंदिर में जलाने के लिए थोक में खरीदी की जा रही है। जबकि घर में स्थापित करने के लिए लोग कम मात्रा में खरीद रहे हैं। उनका कहना है, गाइडलाइन देरी से आने से पुराने दीए नवरात्रि में बेचने की तैयारी थी। इसलिए नए दीए तैयार नहीं किए। आदेश के बाद सभी पुराने दीए बिक गए हैं। हर साल नवरात्रि के लिए मिट्टी के ज्योत हजार व कलश 500 से 1000 के बीच बनाते थे। वर्तमान में मांग बढ़ने से प्रतिदिन 100 नए दीए तैयार कर रहे हैं। ताकि सभी बिक जाए। अभी-तक नए दीए 400 बना चुके हैं।