100वीं किसान रेल शुरू:5 दिन में चौथे भाषण में बंगाल का जिक्र नहीं भूले मोदी, कहा- इस रेल से राज्य के छोटे किसानों को बड़ा विकल्प मिला…

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प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाई। यह रेल महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार तक जाएगी। रेल की मंजिल बंगाल थी, तो मोदी भी अपने भाषण में बंगाल का जिक्र करना नहीं भूले। पांच दिन में उनके चौथे भाषण में बंगाल शामिल रहा।

मोदी ने कहा, “अनानास, लीची, केला, मछली, बंगाल में इसकी कमी नहीं है। समस्या इन्हें देश के मार्केट में पहुंचाने की है। किसान रेल से बंगाल के लाखों छोटे किसानों को बहुत बड़ा विकल्प मिला है। स्थानीय बाजार के छोटे व्यापारियों को भी विकल्प मिला है। वो किसान से ज्यादा दाम में ज्यादा माल खरीदकर किसान रेल के जरिए दूसरे राज्यों में बेच सकते हैं।”

इससे पहले 24 और 26 दिसंबर को अपने तीन भाषणों में मोदी ने बंगाल का जिक्र किया था…

26 दिसंबर को जब 9 करोड़ किसानों के खाते में कुल 18 हजार करोड़ रुपए की सम्मान निधि ट्रांसफर हुई थी, तब मोदी ने बंगाल का जिक्र कर कहा था कि वहां की सरकार किसानों तक फायदा नहीं पहुंचने दे रही।

26 दिसंबर को ही मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए आयुष्मान भारत के तहत सेहत स्कीम लॉन्च की। यहां उन्होंने तंज कसा था कि इस स्कीम का फायदा सब जगह मिलेगा, लेकिन कोलकाता में नहीं मिलेगा। क्या करें, कुछ लोगों की आदत होती है।

24 दिसंबर को तो बंगाल की विश्वभारती यूनिवर्सिटी के 100 साल पूरे होने का ही कार्यक्रम था। यहां मोदी ने बंगाल और गुजरात का साड़ी कनेक्शन बताया और राष्ट्रवाद का मुद्दा छेड़ दिया। उनके इस भाषण और कार्यक्रम में नहीं बुलाए जाने से ममता बनर्जी नाराज हो गईं।

मोदी ने कहा, “जो रेल अभी तक पूरे देश को आपस में जोड़ती थी, वो अब पूरे देश के कृषि बाजार को भी जोड़ रही है। किसान रेल सेवा देश के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उठाया गया एक बड़ा कदम है। इससे खेती से जुड़ी अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा। इससे देश की कोल सप्लाई चेन की ताकत भी बढ़ेगी।’

मोदी के भाषण की 8 बड़ी बातें…

  1. कोरोना में भी किसान रेल 100 के आंकड़े पर पहुंची
    उन्होंने कहा, “अगस्त महीने में किसानों को पूरी तरह समर्पित पहली रेल शुरू की गई। उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम हर क्षेत्र को किसान रेल से कनेक्ट किया जा रहा है। कोरोना के काल में भी इस किसान रेल का नेटवर्क 100 के आंकड़े पर पहुंच चुका है। थोड़ी देर पहले किसान रेल महाराष्ट्र के सांगोला से बंगाल के शालीमार के लिए रवाना हुई है।”
  2. किसान रेल से छोटे किसानों को ताकत मिली
    उन्होंने कहा, ”किसान रेल से देश के 80 फीसदी से ज्यादा छोटे और सीमांत किसानों को बहुत ताकत मिली है। इसमें किसानों के लिए न्यूनतम मात्रा तय नहीं की गई है। अगर किसान 50-100 किलो का पार्सल भी भेजना चाहता है तो वो भी भेज सकता है। छोटे किसान का छोटा उत्पाद भी कम समय में सही कीमत में बड़े बाजार तक पहुंच सकेगा। अब तक का सबसे छोटा कंसाइनमेंट 3 किलो का अनार का पैकेट किसान रेल से भेजा गया। मुर्गी पालक ने 17 दर्जन अंडे भी इसी रेल से भेजे।”
  3. छोटे किसानों को बड़े बाजार देने की नीयत
    मोदी ने कहा, “आजादी के पहले से भी भारत के पास बहुत बड़ा रेलवे नेटवर्क रहा है। कोल्ड स्टोरेज से जुड़ी टेक्नोलॉजी पहले से और अब किसान रेल के जरिए इस शक्ति का बेहतर इस्तेमाल होना शुरू हुआ है। छोटे किसानों को बड़े बाजार देने की नीयत और नीति साफ है। बजट में हमने किसान रेल और कृषि उड़ान की घोषणा कर दी थी। जब कह रहे हैं कि हम किसान की आमदनी बढ़ा रहे हैं तो ये बातें हवा में नहीं कर रहे, इन्हें जमीनी हकीकत में बदल रहे हैं।”
  4. मांग बढ़ने पर किसान रेल के फेरे बढ़ाए गए
    मोदी ने कहा- पहले किसान रेल साप्ताहिक थी और अब मांग बढ़ने पर ये रेल तीन दिन चलानी पड़ रही है। इतने कम समय में 100वीं किसान रेल साधारण बात नहीं है। ये स्पष्ट संदेश है कि देश का किसान क्या चाहता है। ये काम किसानों की सेवा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दिखाता है। ये इस बात का प्रमाण है कि हमारे किसान नई संभावनाओं के लिए कितनी तेजी से तैयार हैं। किसान दूसरे राज्यों में भी अपनी फसलें बेच सकें, उसमें किसान रेल और कृषि उड़ान की बड़ी भूमिका है।
  5. किसान को फसल की बेहतर कीमत मिलेगी
    मोदी ने कहा, “कई बार हम खबरें देखते हैं कि कुछ वजहों से टमाटर की कीमत किसी जगह पर कम हो जाती है तो किसानों का क्या हाल होता है। स्थिति दुखदाई होती है। किसान अपनी मेहनत को अपनी आंखों के सामने बर्बाद होते देखता है। अब नए कृषि सुधारों के बाद, किसान रेल की सुविधा के बाद उसे एक विकल्प मिला है। अब हमारा किसान अपनी उपज देश के उन हिस्सों तक पहुंचा सकता है, जहां पर टमाटर की मांग ज्यादा है और कीमत बेहतर मिल सकती है। वो फलों और सब्जियों के ट्रेड पर भी सब्सिडी का लाभ ले सकता है।”
  6. किसान रेल चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज
    PM ने कहा- किसान रेल चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज है। फल, सब्जी, दूध, मछली या जो भी जल्दी खराब होने वाली चीजें हैं, वो पूरी सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह पहुंच रही हैं। पहले यही सामान सड़क के रास्ते भेजना पड़ता था। इसमें समय लगता है, भाड़ा ज्यादा होता है। गांव में उगाने वाला हो, या शहर में खाने वाला, दोनों को ये महंगा पड़ता है।
  7. रेल का भाड़ा ट्रक के मुकाबले बेहद कम
    मोदी ने कहा, “रेल का मालभाड़ा ट्रक के मुकाबले 1700 रुपए कम है। किसान रेल में सरकार 50 फीसदी छूट दे रही है। किसान रेल जैसी सुविधाएं मिलने से ज्यादा दाम वाले, ज्यादा पोषक फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन बढ़ेगा। छोटा किसान इसलिए नहीं जुड़ पाता था, क्योंकि उसे कोल्ड स्टोरेज और बड़े मार्केट मिलने में दिक्कत होती थी। दूर तक बाजार में पहुंचाने में किराया-भाड़ा में ही काफी खर्च हो जाता था। 3 साल पहले हमारी सरकार ने टमाटर, प्याज और आलू के ट्रांसपोर्टेशन के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दी थी। अब इसे दर्जनों फल और सब्जियों के लिए बढ़ा दिया है।”
  8. कृषि सुधारों में गांव के लोगों की भागीदारी

PM ने कहा, “आज अगर सरकार देशवासियों की छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा कर पा रही है, तो इसका कारण सहभागिता है। कृषि से जुड़े जितने भी सुधार हो रहे हैं, इसकी गांव के लोगों की भागीदारी है। किसान उत्पादक संघ हो, सहकारी संघ हों, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह हों, कृषि व्यापार और इन्फ्रास्ट्रक्चर में इन्हें प्राथमिकता दी जा रही है। कृषि सुधारों के बड़े लाभार्थी गांवों के महिला और युवा हैं। कृषि सुधारों से जो निजी निवेश बढ़ेगा, उससे इन्हें और सरकार को ताकत ही मिलेगी।”